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मां-बाप शादी करते हैं और लड़की उसमें खुश नहीं तो उसे हक़ है कि वो उस रिश्ते से निकल सके। लड़की का अपना व्यक्तित्व है, वो अपनी जिन्दगी का फैसला खुद ले सकती है।
- सपना, गढ़वा, झारखंड
मुझे 18 साल के बाद ही शादी करनी है और अपनी मर्जी से करनी है इसी समाज में रहना है क्योंकि ये मेरा अधिकार है।
- अफसाना खातून, देवघर, झारखंड
लड़की की जिंदगी से जुड़ा हर एक फैसला लड़की का ही होना चाहिए, चाहे वो शादी करने का हो, न करने का हो, कब करने का हो या किससे करने का हो। फैसला लेने की आज़ादी हमारी है, हमें ये मिलनी ही चाहिए।
- मधु, देवघर, झारखंड
बाल विवाह, समाज के भेदभावपूर्ण रवैए का एक उदाहरण है। बाल विवाह में कई बार लड़की की उम्र छोटी और लड़के की बड़ी होती है। हर तरह के भेदभाव के साथ बाल विवाह भी खत्म होना चाहिए।
- श्वेता, पलामू, झारखंड
अगर महिला 18 साल की है और वो वोट देकर सरकार चुन सकती है तो अपना जीवन साथी भी चुन सकती है। इसका निर्णय उसी का होना चाहिए। 18 साल से छोटी लड़की की शादी करना न सिर्फ बाल विवाह है बल्कि उसके निर्णय लेने की आज़ादी भी छीनता है।
- काजल, पलामू, झारखंड
“मैं खुद को बहुत ज्यादा सशक्त पा रही हूँ| मैं अपने लाइफ से जुड़े फैसले ले सकती हूँ| मेरे अन्दर बदलाव और आत्मविश्वास आया है उसे परिवार और समुदाय में ले जाउंगी|”
- शुभम, पटना
मुझे पहले सिग्नेचर करना भी नहीं आता था| गाँव में कोटेदार राशन मांगने पे भगा देता था| जबसे आली संस्था से जुड़ी हूँ बहुत से मुद्दों की जानकारी ट्रेनिंग में मिली| मैंने कोटेदार और प्रधान कि शिकायत जिला पूर्ति अधिकारी से की जिससे जांच बैठी| अब कोटेदार सभी को ठीक से राशन देता है, गाँव के लोग भी अब मेरे पास सलाह लेने आते हैं| जो लोग पहले ठीक से बात भी नहीं करते थे वो अब हाल चाल पूछते हैं, उन्हें पता है कि मैं एक जागरूक नागरिक हूँ| आली ने मेरा हौंसला बढ़ाया हैै|
- नर्गिस
सारी जिन्दगी आजमगढ़ में गुज़र गई, पता भी नहीं था की नगर पंचायत जैसी कोई चीज़ भी होती है| आली कि ट्रेनिंग से इतनी जानकारी मिली की अब सभी विभागों में शिकायत और आवेदन लेकर चली जाती हूँ| गाँवो की बहुत सारी महिलाओं का राशन कार्ड, आधार और पहचान पत्र बनवाया है| कोर्ट, पुलिस थाना सब जगह काम पड़ने पे चली जाती हूँ|
- खुर्शीदा
आली से जो भी ट्रेनिंग मिलती है उससे हमें काम को बेहतर तरीके से करने में मदद मिलती है, सही बातों की जानकारी मिलती है और फिर हम इन जानकारी का इस्तेमाल गाँव में महिलाओं के साथ बैठक में करते हैं, जिससे महिलाओं को भी फायदा होता है और वो हमसे जुडती चली जाती हैं | पहले मैं घर से भी बाहर नहीं निकल पाती थी , आली में ट्रेनिंग के दौरान दिल्ली, मध्य प्रदेश, बनारस जैसे शहरों में जाने का मौका मिला और इससे मेरा हौसला और हिम्मत भी बढ़ी | अब मैं आसानी से बाहर निकल कर आने जाने लगी हूँ|
अधिकारों की जानकारी होने से अब मैं अपना अधिकार मांगने और सवाल करने पुलिस, अफसर ,ग्राम सभा के मेम्बर के पास जा कर बात कर लेती हूँ किसी से नहीं डरती हूँ|
- नूराना
“जब मैं पहली बार आई थी तब बहुत डर था मैं रो रही थी की यह सब बहुत पढ़े-लिखे है और मै इंटर तक पढ़ी हूँ, पर जो सम्मान और जानकारी मिली उससे मेरा डर ख़त्म हो गया|”
- नुजहत, गोंडा
“पहले मुझे लगता था मेरे साथ ही बहुत गलत हुआ है पर ट्रेनिंग के आखरी दिन लगा मैंने कई बार कितना गलत किया है, अब मैं खुद में सुधार करुँगी|”
- सविता, नैनीताल