झारखंड के कोडरमा जिले में रश्मि (बदला हुआ नाम) की शादी की जा रही थी। मां-बाप को लग रहा था कि उन्होंने अपनी बेटी के लिए सही जीवनसाथी चुन लिया है। आखिर 17 साल की उम्र में शादी तो हो ही जानी चाहिए। रश्मि के गांव में लोग एक-दूसरे को देखकर अपनी बेटियों की शादी कम उम्र में करवाने लगे थे। कुछ ऐसा ही सोच रहे थे रश्मि के मां-बाप। उसके मां-बाप का कहना था कि अगर कम उम्र में शादी नहीं करेंगे तो बाद में लोग दान-दहेज मांगेंगे। रश्मि शादी नहीं करना चाह रही थी, वो पढ़ना चाहती थी मगर मां-बाप के सामने अपनी बात रखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। मानसिक रूप से परेशान रश्मि की ये बात रश्मि के पड़ोसियों को पता थी। उन्होंने 1098 पर कॉल करके यह जानकारी दी। आली की केसवर्कर जिस संस्था से जुड़ी हैं, वहां भी ये खबर पहुंची। संस्था के सदस्य चाइल्ड लाइन के साथ रश्मि के घर गए और पीड़िता से अकेले में बात की। रश्मि ने बहुत हिचकते हुए अपनी बात कही कि वो ये शादी नहीं करना चाहती।
रश्मि से बात करने के बाद वहां के मुखिया एवं शिक्षकों के सहयोग से रश्मि के माता पिता को समझाया गया कि कम उम्र में शादी और बिना रश्मि की रजामंदी के शादी करना गैर कानूनी है। पहली बात तो 18 वर्ष से पहले किसी भी लड़की का विवाह वैध नहीं है। दूसरा बिना रजामंदी के विवाह करना लड़की के अधिकारों के खिलाफ़ है। जब केसवर्कर और चाइल्ड लाइन ने रश्मि के मां-बाप को अधिकारों और कानून से जुड़ी जानकारी दी तो उन्होंने शादी रोक दी। रश्मि इस फैसले से खुश थी और वो अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थी। जब केसवर्कर ने एक महीने बाद इस मामले में फॉलोअप लिया तो पता चला कि रश्मि पढ़ाई कर रही है।